क्यों पूछते हो -
"तुम तो रहोगी न ?"
"तुम तो रहोगी न ?"
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हाँ, रहूंगी न
जब मेरा मकान
ईंट ईंट तोड़ोगे
तो एक ओर खड़े रहकर
तुम्हें देखूँगी,
सूटकेस में
मेरे घर को निचोड़ कर
ले जाते देखने,
मैं रहूंगी न....
हाँ, रहूंगी न
जब मेरा मकान
ईंट ईंट तोड़ोगे
तो एक ओर खड़े रहकर
तुम्हें देखूँगी,
सूटकेस में
मेरे घर को निचोड़ कर
ले जाते देखने,
मैं रहूंगी न....
सुनो
वो श्रापित राजा की कहानी याद है?
जिसके बदन में कीलें घुस गयी थी ?
रानी निकालती रही,
कितने रोज़, हफ्ते, माह, बरस...
और जिस दिन बस दो पल के लिए उठी
तो बांदी ने आख़िरी कील निकाली,
जगते ही राजा ने सोचा इसी ने सेवा की है,
रानी यही है,
वो श्रापित राजा की कहानी याद है?
जिसके बदन में कीलें घुस गयी थी ?
रानी निकालती रही,
कितने रोज़, हफ्ते, माह, बरस...
और जिस दिन बस दो पल के लिए उठी
तो बांदी ने आख़िरी कील निकाली,
जगते ही राजा ने सोचा इसी ने सेवा की है,
रानी यही है,
राजा और बांदी को पंखा झेलने
मैं तो रहूंगी न....
मैं तो रहूंगी न....
2 comments:
Oh this is so deep and touching. i am not sure why i got wet eyes after reading this.
Oh What depth!!
Because our hearts connect !!!
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